अगर आदमी गलती करता है तो क्या उसे माफ़ कर देना चाहिए?
जिंदगी जिधर ले जाये उसी तरफ चलना चाहिए क्या?
क्या दर्द को स्वीकार करने से वह चला जाता है?
स्वीकार भाव क्या हैै?
क्या शारीरिक दर्द स्वीकार भाव होने से समाप्त हो जाता हैै?
अपने आप को स्वीकार करने का उपाय क्या हैै?