आकांक्षा से बाहर कैसे निकला जा सकता है?
इच्छाओं को कैसे अनुभव किया जा सकता है
जीवन की तृष्णाओं को दूर करने से तो जीने की इच्छा ही समाप्त हो जाती है।क्या यह उचित है?
अगर इच्छाओं को रोका जाये तो बीमारी होती है और अगर न रोका जाए तो समाज में रहना असंभव है, तो किया क्या जाये?
हमारी इच्छाओं को अगर हम पूरा करें तो भी दिक्कत है, और दबाये तब भी दिक्कत है। फिर क्या करें?
Do human beings experience according to there desires?
Is there no end to human satisfaction?
तृष्णा से कैसे छुटकारा पाया जा सकता है?
इच्छापूर्ति के उपाय क्या हैं?
अगर इच्छाओं को दबाया गया तो बीमारी होती है और इच्छाओं को ना दबाने से समाज में रहना मुश्किल है इसका क्या हल है?
इच्छाओं का अवलोकन करने से भी इच्छायें समाप्त नहीं होतीं। कृपया मार्गदर्शन करें।
क्या इच्छायें वही करनी चाहिये जो पूरी हो सकें?
हम जो भी चाह करे, क्या प्रकृति उस चाह को पूर्ण कर देती है?
इच्छाओं से मुक्ति पाने का क्या रास्ता है?
इच्छाओं का अनुभव कैसे किया जाए?
क्या मन और इच्छा को नियंत्रित किया जा सकता है?
क्या इच्छा को नियंत्रित करना चाहिए या फिर उसको पूरा करना चाहिए?