क्या प्रेम एक से ही होता है याँ फिर वह सब पर फैलना चाहता है?
जिसका जिसपर परम स्नेह है वह उसको मिलेगा ही।
संबंध में कुछ जिम्मेदारी होनी चाहिए क्या?
प्रेम क्या है और इसे कैसे जगाया जा सकता है?
प्रेम में अनुरक्ति (attachment)से कैसे बचा जा सकता है?
आसक्ति क्या है और इससे मुक्ति कैसे सम्भव है?
प्रेम क्या है और उसकी क्या संभावनाये हैं?
राधा कृष्ण का प्रेम कैसा था?
क्या बिना प्रेम का विवाह एक कानूनी वैश्यावृति है?
पत्नी और प्रेमिका में क्या अन्तर है?
क्या प्रेम पाना इतना महत्वपूर्ण है जिंदगी में?
अक्सर यह कहा जाता है कि प्रेम मुक्ति है, प्रेम त्याग है, प्रेम आज़ादी है पर देखा गया है, कि प्रेम के संग पकड़, ईर्ष्या और उम्मीदें आ जाती हैं, अधिकतर प्रेम में कुछ न कुछ स्वार्थ छिपा रहता है तो प्रेम क्यों?